जल – जीवन की ज्योति, जल बिना जीवन की कल्पना करना भी कठिन है.
न सिर्फ मनुष्यों अपितु समस्त प्राणियों एवं जीव- जंतुओं की उत्तरजीविता (सर्वाइवल) के लिए भी पानी की उपस्थिति अनिवार्य है.
पानी न सिर्फ हमारे कंठ को तृप्त करता है, अपितु पानी पर ही हमारी समस्त भौतिक अवशकताएं.. हमारा भोजन.. हमारी ऊर्जा.. हमारी अर्थव्यवस्था और हमारा इकोसिस्टम आश्रित है.
एक अनुमान के अनुसार आज समस्त विश्व के अनेकों क्षेत्रों में करीब ७४८ करोड़ लोगों को पीने के लिए स्वच्छ जल उपलब्ध नही है.
जिस तीव्र गति से आज बढ़ती हुए आबादी के कारण नगरों का विस्तार होता जा रहा है, जल की उपलब्धता उतनी ही कम होती जा रही है.
एक अध्ययन के अनुसार भारत में प्रति वर्ष 1 लाख से ज़्यादा लोगों की मृत्यु दूषित पानी से होने वाले रोगों की वजह से होती है.
World Water Day is observed on 22 March to raise awareness among people about the measures taken to ensure water conservation. इस वर्ष की थीम है “Wastewater” जो की हमें पेयजल को संरक्षित करने की और प्रेरित करती है.
रोजाना हमारे शहरों/गांवों/घरों, खेतों/ उद्दयोगों में हजारों-लाखों लीटर पानी उपयोग के बाद प्रदूषित होकर नदियों -तालाबो में मिलता है, जिससे हमारे पर्यावरण को बहुत क्षति पहुचती है. (अगर धरा पर उपलब्ध जल को उसके उपयोगानुसार बांटकर देखा जाये तो पानी का सबसे ज़्यादा उपयोग ७० % कृषि आधारित क्षेत्रों में किया जाता है. साथ ही औद्योगिक एवं ऊर्जा क्षेत्रों में अनुमानतः करीब २०% और घरेलु उपयोग में १० % जल का उपयोग होता है.)
बेतहाशा पानी का उपयोग करने की हम सबकी आदत को अब बदलने की जरुरत है.
साथ ही वाटर-रीसाइक्लिंग एक अच्छा विकल्प है जिसके द्वारा हम जल को पुनः उपयोग के योग्य बना सके.
साथ ही ज्यादा से ज्यादा वृक्षारोपण, जंगलों/वनों का संरक्षण, प्राकृतिक स्थान के अनुसार सही प्रकार की वनस्पतियों का चुनाव, कृषि कार्यों में आर्गेनिक/ जैविक खाद का उपयोग, ड्रिप इरीगेशन का उपयोग जल संचय के लिए लाभदायक होगा.
अपनी दैनिक दिनचर्या में कुछ परिवर्तन करके हम सभी लोग पानी को बचा सकते है.
रेनवाटर हार्वेस्टिंग, पुराने कुँओं/ बावड़ियों की साफ़-सफाई, तालाबों/नदियों का गहरीकरण आदि में जनमानस की सक्रिय सहभागिता अति आवश्यक है.
As countries develop and populations grow, global water demand (in terms of withdrawals) is projected to increase by 55% by 2050. Already by 2025, two thirds of the world’s population could be living in water-stressed countries if current consumption patterns continue.
पानी के स्रोतों को स्वच्छ एवं निर्मल बनाये रखना प्रत्येक नागरिक का कर्त्यव है.
Take a pledge to Save Water Now…
Every Drop Counts…
Dr. Pooja Pathak
for SwavalambanRehab