Cerebral Palsy: Understanding Early Signs and Classification

सेरेब्रल पाल्सी

typical posture of a CP child
typical posture of a CP child

सेरेब्रल पाल्सी अथवा प्रामस्तिष्क घात मुख्यतः मस्तिष्क पर किसी प्रकार की चोट अथवा असामान्य विकार की वजह से शिशुओ मे होती है . यह एक नॉन प्रोग्रेसिव डिसॉर्डर है जिसमे मस्तिष्क का जो भाग शतिग्रस्त हुआ है वह समय के साथ वैसा हे रहता है एवम आगे उसका षरन नही होता है.
भारत मे एक हज़ार लाईव बर्थ मे से ३ % शिशुओ मे c.P होता है और संपूर्ण भारत मे २५ लाख से ज़्यादा CP मामले वर्तमान समय मे है.

कारण :

risk factors of cerebral palsy
risk factors of cerebral palsy

१. मस्तिष्क पर चोट मुख्य कारण होता है , जो की गर्भावस्था के समय किसी प्रकार का इन्फेक्षन, इंजुरी, टुक्सिमिया की वजह से होता है

cerebral palsy brain
cerebral palsy brain

२. प्रिमेचयोर बेबी जिनका जन्म ७ माह मे हो गया हो
३. लो-बर्थ वेट जन्म के समय वजन कम हिना (७००-८०० ग्राम)
४. जन्म के समय बर्थ ऐसफाईजिया होना अर्थात मस्तिष्क मे पर्याप्त ऑक्सिजन नही पहुचना

lobes of brain affected in cerebral palsy
lobes of brain affected in cerebral palsy

५. माता का रुबेला या टॉक्सिक-प्लसमोसिस से ग्रस्त होना
६. शिशु के जन्म से लेकर २ वर्ष तक की अवधि मे बॅक्टीरियल मेनिंजाइटिस या वायरल इंसेफालिटीस का इन्फेक्षन

सेरेब्रल पाल्सी के लक्षण:

१. सेरेब्रल पाल्सी से पीड़ित शिशु का शारीरिक विकास सामान्य बच्चो की अपेक्षा विलंब से होता है
२. ६ माह की आयु तक सोशल स्माइल नही देते
३. ध्वनि के प्रति प्रतिक्रिया व्यक्त नही करते CP child
४. ८ माह के होने पर भी सिर और गर्दन नही संभाल पाते
५. हाथों और पैरो की मांसपेशिया अत्यधिक कड़क अथवा ढीली होती है
६. हाथों की मुट्ठी कसी हुई रहती है
७. हाथों की पकड़ कमजोर होती है
८. १२ माह का होने पर भी बच्चा स्वयं अपने शरीर का संतुलन नही बना पता
९. रीढ़ की हड्डी आगे की और झुकी हुई होती है, बच्चा आगे की और झुककर बैठता है
१०. पैर तिरछे प्रतीत होते है

foot in CP
foot in CP

११. बच्चा क्रॉस-लेग या सिसर पॅटर्न मे खड़ा होता है (पैरो मे कैची डालकर)
१२. बच्चा अपनी एडी उठाकर चलता है
१३. बच्चे के मूह से लार गिरती रहती है
१४. बच्चा ठीक से भोजन नही चबा पाता है
१५. बच्चा ठीक से बोल नही पता है
१६. बच्चे का मानसिक विकास भी विलंब होता है

सेरेब्रल पाल्सी के प्रकार:

classification of CP
classification of CP

१. स्पास्टिक टाइप:
– ७० – ८० % केस इस प्रकार के होते हैं
– इन बच्चो की मसल टोन हाइ (ज़्यादा) होती है
– गर्दन, हाथ और पैरो की मांसपेशियाँ अत्यधिक कड़क होती है
– शरीर मे झटकेदार मूव्मेंट होता है
– पैरो के पंजे अंदर की और मुड़े हुए होते हैं

स्पास्टिक केस के विभिन्न प्रकार होते है –

spastic CP
spastic CP: source slideshare

* डाइ-प्लेजिया : ३०- ४०% बच्चो मे शरीर का निचला भाग (पेर) उपरी भाग से ज़्यादा प्रभावित होते है
* हेमी-प्लेजिया : २० – ३०% बच्चो के शरीर का दाँया या बाँया भाग प्रभावित होता है
* क्वाडरी- प्लेजिया : १० – १५ % बच्चो मे दोनो हाथ और पेर समान रूप से प्रभावित होते है
* मोनो- प्लेजिया : ५ % बच्चो मे दाँये या बाँया भाग के कोई भी एक हाथ या पेर प्रभावित होते है
२.  नान-स्पास्टिक टाइप

– २० -३० % बच्चो मे शरीर की मसल टोन फ़्लाक्चुएटिंग होती है यानी शरीर कभी ज़्यादा कड़क तो कभी बेहद ढीला महसूस होता है
– मूव्मेंट फास्ट और रिथमिc होता है

३. नान- स्पास्टिक टाइप के प्रकार:

ataxic cerebral palsy
ataxic cerebral palsy

* एटेक्सिया : ५ -१० % बच्चो मे , बच्चा पेर चौड़े कर चलता है, चलते समय बार बार गिर जाना, शारीरिक असंतुलन , स्थिरता का अभाव , हाथों मे कमज़ोर पकड़, लिखने मे परेशानी

athetoid/ dyskinetic CP: source slideshare
athetoid/ dyskinetic cp

* डिसकिनिटिक : १० -१५ % केस मे बच्चो मे असमान्य पोश्चर , अनेच्छिक गति, बच्चा स्वयं के शरीर को नियंत्रित नहीं कर पाता

 

Be careful about these early signs and symptoms….

Awareness can save many lives…

Dr. P Pathak

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